भारत अपनी विदर्भ संस्कृति रंग-बिरंगे रंगों और अनेकों में एकता के लिए मशहूर है , इस विशाल देश में न सिर्फ लोग अलग-अलग परंपराओं और बोली भाषाओं का अपनाते हैं , बल्कि उनके सफर करने के तरीके भी उतनी ही अनोखे और मनमोहन हैं पूरी दुनिया से लोग जब भारत आते हैं , तो उन्हें यहां के अलग-अलग प्रदेशों के देसी मोड ऑफ ट्रांसपोर्टेशन (desi mode of transportation) का एक खास अनुभव मिलता है , राजस्थान में कैमल कार्ड सफारी से लेकर हिमाचल प्रदेश के कल्लू के ऑटो रिक्शा तक और केरल के छोटे-छोटे परी राइट्स तक हर प्रदेश की अपनी एक अलग पहचान है , ऐसे ही कुछ देसी मोड ऑफ ट्रांसपोर्टेशन के बारे में जानते हैं जो आज भी लोगों को प्राचीन और अद्भुत अनुभव करवाते हैं तो चलिए नीचे देखते हैं ।
राजस्थान का ऊंट गाड़ी सफारी
राजस्थान जिसे रेगिस्तान की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है , यह अपने राजवाड़े हवेलियों और रेगिस्तान की खूबसूरती के लिए विशेष रूप से जाना जाता है , यहां की वुड गाड़ी सफारी एक ऐसा अनुभव देती है , जो देश विदेश के पर्यटकों कोप्राचीन भारत की याद दिलाता है ऊंचे ऊंचे रेट के तिल सेंड डम्स पर धीरे-धीरे चलते उठ गाड़ी पर बैठकर आगे रेगिस्तान का सुख लेना अपने आप में ही एक अलग अंदाज और अलग मजा टूरिस्ट को देता है , वुड गाड़ी सफारी के दौरान पर्यटक न केवल राजस्थान की जीवन संस्कृति जीवन को देख पाते हैं बल्कि यहां के गांव मिट्टी की खुशबू और रेगिस्तान जीवन के रंग भी अनुभव करते हैंमारवाड़ और जैसलमेर जैसे स्थल पर सफारी के लिए प्रमुख हैजहां रेगिस्तान की वास्तविकता को देखा जा सकता है उठ गाड़ी का यह प्राचीन साधन राजस्थान के लोगों की दशा और उनकी संस्कृति का एक आम चित्र भी प्रस्तुत करता है यह एक सतत पर्यटन का उदाहरण भी है क्योंकि यह प्राचीन तरीके से चलने वाली यह सब सवारी पर्यटक को पर्यावरण को भी हनीफ नहीं पहुंचती हैक्योंकि यह प्राचीन तरीके से चलने वाली पर्यावरण को भी बिल्कुल नानी नहीं पहुंचती है और राजस्थान कासौंदर्य बनाए रखी है ।

हिमाचल प्रदेश की कल्लू के ऑटो रिक्शा
हिमाचल प्रदेश के कल्लू वीडियो का जीवन पहाड़ी सड़कों और कठिन रास्तों के साथ जुड़ा है इस प्रदेश के कई शहरों में आज भी ऑटो रिक्शा एक विशेष सफर का हिस्सा है यहां के कल्लू के ऑटो रिक्शा सिर्फ जाने आने जाने का माध्यम ही नहीं बल्कि यह एक ऐसे सफर का हिस्सा है जो पर्यटक को यहां की कठिन भौगोलिक स्थिति का अनुभव करता हैजब आप यहां आएंगे तो देखेंगे कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी रास्ते हारा-भारत वातावरण और झील झरनों के बीच से गुजरने वाले ऑटो रिक्शा की एक यात्रा का अलग ही आनंद देता है यह ऑटो रिक्शा छोटी पहाड़ियों से गुजरने के लिए सबसे सस्ता और व्यावहारिक उपाय है पहाड़ियों की तीखी मोड़ों और छोटी गलियों में ऑटो रिक्शा का सफर एक रोमांचक अनुभव देता है जब आप इन रास्तों से गुजरते हैं तो एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी घाटी देखने को मिलती है यह सफर न केवल सफल होता है बल्कि एक एडवेंचर भी होता है जो हर पर्यटकों के दिल और एक यादगार पल जोड़ देता है

केरल के छोटे फेरी राइड
केरल जिसे सारी दुनिया “गॉड्स ऑफ कंट्री “ के नाम से जानी जाती है यह अपनी नदियों झीलों और बैकवॉटर्स के लिए भी जाना जाता है यहां के छोटे फेरी राइट्स न केवल स्थानी लोगों के लिए यह आवश्यक यात्रा का माध्यम है बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक मनमोहक अनुभव प्रस्तुत करते हैं केरल केAlappuzha जिसे एलेप्पी भी कहा जाता है और कुमारकोम के फेरी राइट्स वर्ल्ड फेमस है , यह फ्री राइट्स आपको केरल के हरित परिदृश्य नारियल के पेड़ और जीवन जल जीवन के बीच ले जाती है , जब आप इस राइट्स का आनंद लेते हैं , आप यहां के मछली पकड़ने वाले लोगों को उनकी नाव पर काम करते हुए देखते हैं , और इस प्रदेश की आम जिंदगी को करीब से समझ पाते हैं यह अनुभव एक शांत और आनंदपूर्ण सफल होता है जिसे आप प्राचीन और आधुनिक जीवन के संगम को देख सकते हैं

असम के बांस की राफ्ट राइट्स
जैसा कि हम जानते हैं भारत के पूर्वी क्षेत्र असम में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर की जाने वाली बांस की राफ्ट राइट्स एक और अद्भुत देसी परिवहन का साधन है , यह राफ्ट पारंपरिक कला को दर्शाती है , जिसमें स्थानी लोग बांस से बनी राफ्ट का उपयोग करते हैं , और ब्रह्मपुत्र नदी की विशाल धाराओं और उनके चारों ओर फैल हरा-भरा परिवेश एक ऐसा सफर और सुना सुनहरा सफर कासुख पर्यटकों को देता है ।

कोलकाता का हाथ खींची रिक्शा
कोलकाता जिसे भारत की संस्कृति भी की राजधानी भी कहा जाता है , यह अनेकों चीजों में फेमस है लेकिन यहां के हाथ खींच रिक्शा सारी दुनिया में एक अलग मिसाल है यह अपने हाथ खींची रिक्शे के लिए प्रसिद्ध है इन वृक्षों की शुरुआत ब्रिटिश शासन के समय हुई थी और आज भी कोलकाता में कुछ पुराने हिस्से में देखने को मिलती है यहां के हाथ खींची रिक्शा एक प्राचीन परिवहन का माध्यम है जिसमें रिक्शा चालक पैदल चलकर उसे खींचता है यह पुराने कोलकाता के संकीर्ण गलियों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी आज भी यह प्रचलित साधन है जब भी यहां पर्यटक आते हैं तो इसहाथ खींचे रिक्शा का लुक लेना हर कोई पसंद करता हैपर्यटक इन रिक्शा में बैठकर कोलकाता की प्राचीन वास्तुकला और जीवन शैली का आनंद लेते हैं यह शहर के इतिहास और संस्कृति का एक जिंदा नमूना आज भी कोलकाता में देखने को मिलता है

कश्मीर की शिकार राइट्स
कश्मीर जिस धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है कहा जाता है कि यदि भारत में कहीं स्वर्ग है तो वह कश्मीर में है अपने सुंदर झीलों और पहाड़ी परिदिशों के लिए प्रसिद्ध है दल झील में शिकारा राइड से एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है , शिकार एक पारंपरिक लकड़ी की नाव होती है जिसे स्थानीय लोग पानी पर चलते हैं , यह सफर में पर्यटक झील के पार बसे हरे-भरे बैगन जिलों से भारी नावों और पहाड़ों की सुंदर नजारों को आनंद लेते हैं , शिकार राइट्स न केवल परिवहन का एक तरीका है बल्कि यह कश्मीर की पारंपरिक संस्कृतियों का प्रतीक भी हैयदि कभी कश्मीर जाने का मौका मिले तो कश्मीर की सितारा राइट्स का अनुभव लेना बिल्कुल भी ना भूले ।

उत्तर प्रदेश से वाराणसी की नाव राइट
उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिसे शायद आप बनारस के नाम से भी जानते हैं जी हां वही बनारस गंगा नदी के तट पर स्थित भारत के सबसे पुराने और पवित्र शहरों में से एक है , यहां के नौ राइट्स पर टोकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है सुबह-सुबह गंगा आरती के समय नाव पर बैठकर घाटों का नजारा देखना एक अलग ही अंदाज है , पर्यटक इस दौरान घाटों पर होने वाली धार्मिक अनुष्ठान मंदिरों की घटिया की आवाज और शंखनाद पवित्र गंगा नदी का संजीव दृश्य देखने के लिए यहां पास हो आते हैं यह अनुभव अध्यात्म और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर होता है ।

गुजरात की बैलगाड़ी यात्रा
गुजरात की कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बैलगाड़ी यात्रा एक पारंपरिक और आवश्यक परिवहन का साधन है , यह विशेष रूप से उन जगहों पर प्रचलित है जहां पर खेती प्रमुख व्यवसाय है , पर्यटक जब ग्रामीण पर्यटन का आनंद लेना चाहते हैं तो वह बैलगाड़ी यात्रा करते हुएपुराने समय की याद को दोहराते हैं , यह सफर धीमा और शांतिपूर्ण होता है जिसमें हरे-भरे खेतों और प्राकृतिक सौंदर्य का लुफ्त उठाया जाता है जो पर्यटकों के लिए काफी मनमोहक होता है ।

महाराष्ट्र के मुंबई की डबल डेकर बस
जैसे ही दिमाग कर मुंबई का नाम आता है तो सबसे पहले दिमाग पर यह आता है कि भीड़भाड़ और तेज जिंदगी की दुनिया वैसे तो मुंबई को सपनों की दुनिया भी कहा जाता है , लेकिन यह इस भीड से भी मुंबई की डबल डेकर बसे हैं , आज भी पर्यटकों के लिए आरक्षण का केंद्र बनी हुई है ब्रिटिश काल से चली आ रही यह बसें मुंबई की सड़कों पर सफर का आनंद लेने के लिए एक खास अनुभव देती है बस की ऊपरी मंजिल से शहर की सड़कों और समुद्री तट का दृश्य देखना पर्यटकों के लिए बेहद खास और रोमांचक होता है ।

ये सभी देसी परिवहन के साधन भारत की विविधता समृद्ध जीवन प्राण और अनूठे सफर का हिस्सा है चाहे वह राजस्थान की रेतीली गाड़ियों का हो या कश्मीर की शिकार हर परिवहन मध्य अपनी कहानी और क्षेत्रीय विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं यह न केवल यात्रा को रोमांचक बनाते हैं बल्कि हमारे देश की संस्कृति धरोहर संजय रखने में भी योगदान देते हैं